– शिरोमणि साहित्यकार मनमोहन सिंह दाऊं ने पुस्तक की पुस्तक रिलीज़
मोहाली, बचपन से ही अंग्रेजी भाषा में गुनगुनाती मोहाली के फेज-5 की वसनीक छोटी बच्ची गीत कौर कुंदरा 10 साल की उम्र में ही कवित्री बन जायेगी, इस बात का अनुमान शायद उस के पेरैंट्स ने भी नहीं लगाया होगा। अपने मन में गुनगुनाती ‘गीत’ पर कुदरत मेहरबान हुई और उस ने कापी पैंसिल उठा कर अपनी, रचनायें लिखनी शुरू कर दीं। अपनी बेटी द्वारा कापी में लिखी बड़ी संख्या में रचनायें उस के पेरैंट्स ने देखीं तो उन्होंने इस को एक पुस्तक का रूप दे दिया।
अंग्रेजी भाषा में कविताओं की छपाई गई ‘गीत’ की यह ‘माई वल्र्ड-इन-वर्स’ आज यहां मोहाली में पंजाबी के शिरोमणि साहित्यकार मनमोहन सिंह दाऊं द्वारा रिलीज़ की गई। इस मौके गीत की माता श्रीमती अवीन कौर, पिता सुखबीर सिंह भी उपस्थित थे। मोहाली सीनियर सिटीजन्ज़ एसोसिएशन के सैक्रेटरी ईवैंटस हरजिन्दर सिंह, लायन्स कल्ब मोहाली के सचिव हरिन्दरपाल सिंह हैरी ने भी पहँच कर इस 10 वर्षीय छोटी कवित्री गीत को आशीर्वाद दिया।
गीत की कविताओं की उक्त पहली पुस्तक रिलीज़ करने मौके शिरोमणि साहित्यकार मनमोहन सिंह दाऊं ने कहा कि किसी भी भाषा में कविता लिखनी बहुत ही मुश्किल काम है। यह परमात्मा की मेहर भी किसी-किसी पर ही होती है परंतु गीत पर परमात्मा की मेहर इस कदर हुई कि वह 10 वर्ष की उम्र में ही कवित्री बन गई जो कि अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
अपनी इस पहली पुस्तक के रिलीज़ होने मौके बातचीत करते हुए कवित्री गीत कौर कुंदरा ने बताया कि उस ने प्राथमिक पढ़ाई की शुरुआत बोस्टन मैसेच्यूसेटस (यू.एस.ए.) में थी। उस ने कहा कि वह कुदरत से बहुत ज्यादा प्रेरित है। उसे अपने मां बाप के साथ पूर्वी तट्ट, यू.एस.ए. में बहुत घूमने का मौका मिला, जहां से उसे कुदरत की सुंदरता को लिखने और उसे शिंगारने की प्रेरणा मिली। गीत ने कहा कि वह कविताओं के साथ-साथ गायिका भी बनना चाहती है। इस लिए वह संगीत की शिक्षा भी ग्रहण कर रही है। उस के पिता सुखबीर सिंह ने कहा कि जब बच्ची की हाथ लिखतें काफी मात्रा में इक_ी हो गईं तो उसने फैसला किया कि इन 30 अंग्रेजी कविताओं को एक पुस्तक का रूप दे कर बच्ची का हौंसला बढ़ाया जाये। आज उन्हें अपनी बच्ची की छोटी उम्र में ही कविताओं की पुस्तक रिलीज़ होने पर खुशी महसूस हो रही है।
फोटो कैप्शन –
10 वर्षीय कवित्री गीत कौर की पहली पुस्तक ‘माई वर्ल्ड इन वर्स’ को रिलीज करते हुए शिरोमणि साहित्यकार मनमोहन सिंह दाऊं।