फूलमण्डी से कैंट एरिया की सुरक्षा को खतरा

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Kanpur
Report -Hari om Gupta


कानपुर नगर, शिवाला कैलाशमदिर प्रांगण में लगने वाली फूलमण्डी ठेकेदारो और वूसलीबाजों के बीच फंसकर अपना मूल स्थान खो चुकी है आज किसान अपने फूल बेंचने के लिए इधर-उधर भटक रहा है। शिवाला स्थित फूलमण्डी से किसानो को हटाया गया, कुछ दिन वह कैंट ऐरिया में क्रासिंग के पास फूल बेंचते रहे उसके बाद जब वहां से उन्हे खदेडा गया तो अब वह कैंट में ही गोल्फमैदान के सपीम मैस्कर घाट मोड पर फूल बेंच रहे है, या यह कहे कि यहां अवैध तरीके से फूलमण्डी लगने लगी है।
कैंट ऐरिया में लगने वाली फूलमण्डी के साथ कैंट की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशाल उठ खडा हुआ है। रोज सैकडो की संख्या में किसान अपने वाहनो, लोडरो से यहां सुबह तडके पहुंच जाता है। कैंट ऐरिया होने के कारण मुख्य मार्ग से दिनभर बडे वाहनो और सैन्य वाहनो का आवागमन होता है। फूलमण्डी के कारण असुरक्षा का माहौल बनता जा रहा है साथ ही फूलों के खरीदार भी रोजाना सैकडो की संख्या में पहुंचते है, जिससे यहां वाहनो की सडक पर कतारे लग जाती है। वहीं प्रसिद्ध घाट की ओर जाने वाले श्रृद्धालुओं को भी परेशानी उठानी पड रही है। किसानो व फुटकर फूल विक्रेताओं का भी कहना है कि यहां आने में उन्हे परेशानी होती है क्यों कि रास्ते में साधन नही मिलते, अधिकतर क्रासिंग बंद होती है और यह शहर से दूर पड जाता है। शिवाला प्रांगण में मण्डी लगती थी तो आसानी होती थी। वहीं किसानो का यह भी कहना है कि यदि उन्हे स्थाई ठिकाना मिल जाये तो भटकने की आवश्यता नही जिसके लिए शिवाला कैलाश मंदिर परिसर सही स्थान है। नौबस्ता मण्डी काफी दूर पडेगी और फुटकर खरीदार वहां रोजाना समय से नही पहुंच सकता है।
जिलाधिकारी को कैटं बोर्ड द्वारा भेजा गया पत्र
कैंट में लगने वाली फूलमण्डी के विषय पर जब कैंटबोर्ड उपाध्यक्ष लखन ओमर से बात की गयी तो उन्होने कहा कि यहां मण्डी लगने की कोई व्यवस्था नही की गयी है, मण्डी को जबरन लगाया जा रहा है और इसे हटना होगा। उन्होने बताया कि इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी को पत्र भी भेजा जा चुका है।
स्थानीय दबंगों द्वारा की जा रही वसूली
शिवाला कैलाश मंदिर में लगने वाली फूलमण्डी के किसान अब कैंट में अपने फूल बेंच रहे है। किसानो की माने तो वह सुबह यहां आ जाते है। लगभग 100 किसान यहां रोज अपने फूल लेकर निजी वाहनो से पहुंचते है। ऐसे में शहर का फुटकर फूल विके्रता भी यहां पहुंच रहा है। धीरे-धीरे यहां खाने-पीने के ठेले और चाय की दुकाने लगने लगी है। जिससे प्लास्टिक के ग्लास,दोने आदि का कूडा एकत्र होने लगा है। वहीं आवारा जानवर भी आ जाते है। मण्डी समाप्त होते-होेते बचे, सडे फूलों और अन्य गंदगी वही बिखर जाती है। मण्डी के समय घार की ओर जाने वाला रास्ता जाम हो जाता है। किसानो की माने तो यहां स्थानीय राजा नाम का दबंग तथा उसके गुर्गे प्रतिदिन किसानो से 20 से 30 रू0 वसूली करते है। वहीं एक गुर्गे से बात करने पर उसके कहा कि कैंट बोर्ड द्वारा फूलमण्डी का ठेका उठाया गया है, उन्हे पैसा देना पडता है इस लिए किसानो से प्रतिदिन पैसा लिया जाता है।
खुले में शौचक्रिया करते है किसान
फूलमण्डी में सुबह 4 बजे से ग्राम क्षेत्रों से किसानो का आना शुरू हो जाता है। सुबह बाजार शुरू होने से पहले और उसके बाद भी किसान नित्य क्रिया के लिए आस पास खुले में शौच क्रिया करता है। कुछ लोगों ने बताया कि जहां फूलमण्डी लगती है वहां पीछे कुछ जंगल जैसा वातावरण एरिया है, किसाने वहीं शौच के लिए जाते है।