शासन-प्रशासन की हीलाहवाली से लटके ओवरब्रिजों का काम

Spread the love

SPOT LIGHT 24
रिर्पोट पंकज ब्यूरो चीफ
कानपुर

आठ वर्षो के बाद भी सीओडी पुल का पूरी नही हो सकता निर्माण, अन्य ब्रिज भी अधर में

कानपुर नगर, शहर की यातायात व्यवस्था चरमाराती जा रही है, दूसरी तरफ शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए बीते कई वर्षो से पुलो का निर्माण चल रहा है जो अभी तक पूरा नही हो पाया है। समय बीतने के साथ सरकारी तंत्र की लापरवाही सामने आती जा रही है। न अधिकारियों और न ही शासन द्वारा पुल को समय से पूरा कराने पर ठोस कार्यनीति बनाई जा रही है। शहर के कई पुल सालों से अधर में लटके हुए है और अधर में लटके ओवरब्रिजों को देख यही लगता है कि यह कितने सालों में पूरे हो सकेगे। बीते वर्षो में शहर में पांच ओवरब्रिज बनाये जाने थे लेकिन आठ साल बीतने के बाद महज दो ही पुल चालू हो सके है, बांकी की हालत ऐसी कि उन्हे देखकर नही लगता कि वह जल्द बनकर तैयार हो जायेगे।
बीते वर्ष 2008 में श्याम नगर, गोविन्दपुरी, सीओडी, झाडीबाबा रेलवे ट्रैक पर बन रहा ओवरब्रिज तथा जरीब चैकी व कोकाकोला पर प्रस्तावित ओवरब्रिजो में श्याम नगर, गोविन्द पुरी ओवरब्रिज छोड कर बांकी के पुल शहरवासियों के लिए सिर्फ एक आंस बधाये हुऐ है। श्यामनगर पुल भी अभी पूरी तरह यातायात के लिए तैयार नही है। इस पुल की केवल एक ही लाइन पूरी हो पायी है जब कि दूसरे में कार्य आज भी चल रहा है। समय सीमा के अनुसार सीओडी पुल दिसम्बर तक तैयार होना चाहिये लेकिन हालत यह बंया कर रहे है कि अगले वर्ष मार्च तक भी यह पुल तैयार नही हो पायेगा। वहीं चार वर्ष से बन रहे झाडीबाबा पुल का हाल और भी बुरा है। यहां अभी आधा काम बांकी है। सैन्य क्षेत्र तो कहीं रेलवे की एनओसी आदि यहां लेट-लतीफी का बडा कारण है लेकिन यदि सरकारी तंत्र चाहे तो सारी अडचने पल में दूर हो सकती है। इसके साथ ही पिछली सपा सरकार में जरीब चैकी तथा कोकाकोला क्रासिंग पर ओवरबिज बनने का प्रस्ताव पास हुआ था। कार्य चल रहे पुलों का कोई भरोसा नही कि वह कब पूरे होगे ऐसे में यह पुल तो अभी दूर की कौडी ही है। यह हाल तब है जब भाजपा सरकार निर्माणाधीन पुलों को पूरा करने पर जोर दे रही है। अधिकारियों की लापरवाही साफ नजर आ रही है लेकिन उनपर किसी प्रकार की सख्ती नही बरती जा रही है। अब एक बार फिर सीओडी ओवरब्रिज को दिसम्बर तक पूरा किये जाने के निर्देश सरकार द्वारा जारी किया गया है लेकिन निर्देशो का पालन हो यह जरूरी नही है। आठ वर्षो से अधर में लटका पुल शहर के लिए एक प्रश्नचिन्ह से कम नही है। यह हालत तब है जब भाजपा के मंत्री सतीश महाना स्वयं पुलों के तैयार होने की रिपोर्ट पर लागातार देख रहे है। फिलहाल सरकार कार्यप्रणाली जनता के सामने है। अब प्रशासन व शासन जल्द से जल्द पुलों को पूरा कराने का काम कितने समय में कराता है यह देखना होगा।