भारत की पहली मैगलैव ट्रेन में हिमाचल के सुंदरनगर का छोटे से गांव जैदेवी नाम भी चमका ,इंदौर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सफल हुआ भारत का पहला मैगलैव टे्रेन का प्रदर्शन देवेंद्र गुप्ता , नितिन कुमार

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इंदौर


हिमाचल सुंदरनगर उपमंडल के छोटे से गांव जै देवी के नाम की गूंज इंदौर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर हुई । इंदौर भारत में बनने वाली पहली मैग्रैटिक ट्रेन के प्रदर्शन के दौरान मंडी जिला के इस छोटे गांव कर जिक्र इसलिए आया क्योंकि इस ट्रेन को मैगनेट उपलब्ध करवाने में इस गांव की मैग लैव फैक्ट्री की अहम भूमिका रही है । इस फैक्ट्री से बने चुंबक से ही देश की पहली मैग लैव ट्रेन का प्रोजेक्ट तैयार हुआ है । इस फैकट्री के प्रबंध निदेशक अरूष कुमार ने बताया कि उनके संस्थान को इस बात की ख्ुाशी है कि देश में बनने जा रही पहली मैगलैव ट्रेन में उनका भी योगदान है । उन्होंने कहा कि ये सब उनकी दस साल की मेहन्नत का नतीजा है जिसे तरासने में उनके गुरू और मैगलैव सेासाईटी आफ इंडिया के प्रमुख शिंदे की देन है । जिन्होंने हैक्स मैग लैव को आगे बढऩे का मौका दिया । उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के सुंदरनगर का नाम आज सुर्खियों में है । जिसके लिए वे अपने माता हेमलता ,पिता स्व. बूजभूषण और बड़ी बहन अदिती को श्रेय देते है । अगर देश में मैग लैव टे्रन मैट्रो टेन की तरह विकसीत हुई तो आने वाले दिनों मैग लैव का कारोबार और भी बढऩे वाला है । जिससे देश में कई रोजगार पैदा होगें ।


गुरू के लिए गुरू दक्षिणा देने का समय
अरूष कुमार के गुरू और मैगलैव सेासाईटी आफ इंडिया के प्रमुख के दिशा निर्देश के बाद ही से प्रोजेक्ट कामयाब हुआ है । उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस प्रोजेक्ट पर मेहन्नत की गई है । आज उसका परिणाम चुबंकीय शक्ति से एक प्रदुषण रहित ट्रेन का बनना है । ये टे्रन भारत में बलेट टे्रन का सबसे अच्छा विकल्प बनेगी । उन्होंने कहा कि आज ये टे्रन जिस रूप में विकसीत होने जा रही है । यह भारतीय तकनीक का स्वदेशी रूप है । जिसका लोहा दुनियां मानने वाली है ।उन्होंने कहा कि अब गुरू को उसकी दक्षिणा देने का समय आ गया है । जिन्होंने हर परिस्थिति में एक सबक सिखाया जिसकी वजह से आज भारत की पहली मैगलैव ट्रेन बनने जा रही है ।

फोटो – 2 मैगलैव सेासाईटी आफ इंडिया के प्रमुख शिंदे के साथ अरूष कुमार