प्रशासनिक हिटलर शाही का लगातार शिकार हो रहे हैं कोटेदार

Spread the love

SPOT LIGHT 24

बदायूं

 

जहां सरकार की नीति है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत गरीबों का राशन उचित दर पर दिया जाए। लेकिन प्रशासन की रबैया के चलते शासन की नजर में बेहतर वितरण व्यवस्था दर्शाने के लिए कोटेदारों को बनाया जा रहा है निशाना । फिलहाल में दातागंज उपजिलाधिकारी भी इसी मुहिम में लग गये हैं।

जबकि ऱाशन वितरण व्यवस्था में स्वंय प्रशासन दोषी है, आपको बताते चलें कि आज भी राशन कार्ड धारकों की पात्रता का सही आंकलन लेखपाल और सचिव द्वारा नहीं कराया जा सका है। गत एक साल में आधार फीडिंग के नाम पर कोटेदारों का शोषण जारी है। आज भी प्रशासन यह दावा करने में अक्षम है कि सूची बद्ध सभी कार्डधारक पात्र हैं। ना ही यह दावा कर सकते कि आज भी गरीब कार्ड धारकों के परिवार के सभी सदस्यों को सूची में सम्मिलित किया गया है। आज भी बर्षों पहले के मृतक सूची में शामिल हैं। कई सरकारी कर्मचारियों के राशन कार्ड चल रहे हैं।

आज भी सप्लाई विभाग में पूर्ति निरीक्षकों के अलावा तीन  प्राईवेट कर्मी काम कर रहे हैं लेकिन प्रशासन ने कभी यह पता नहीं किया इनको पे कहां से आती। कई बार फीडिंग कर डिलीट की गई और लगातार बर्षों से चल रहा फीडिंग कार्य समाप्त नहीं हुआ।।

जनपद में कोटेदार के ऊपर निगरानी के लिए त्रिस्तरीय सत्यापन टीम काम कर रही फिर भी अगर कार्यवाही अमल में आती है तो सिर्फ कोटेदार पर। बाकी टीम केवल कोटेदार का शोषण करने का काम करती है।

भृष्ट व्यवस्था के अन्तर्गत कोटेदार के शोषण के तरीके जिन पर प्रशासन मौन।

1-आधार फीडिंग के नाम पर कोटेदार का दोहन।

2-गोदाम से खाद्यान्न उठाने पर पल्लेदारी के नाम पर उगाही।

3- पूरे जनपद में बारदाना के बजन का खाद्यान्न कोटेदार को नहीं दिया जाता।

4- उठान के प्रमाणपत्र के नाम पर विभागीय बसूली।

5- कोटेदार की दुकान पर स्टाक सत्यापन के नाम पर उगाही ।

6-पर्यवेक्षक, वितरण अधिकारियों का दोहन।

प्रशासनिक व्यस्था के अनुरूप जब वितरण अधिकारियों के द्वारा वितरण कराया जा रहा है तो कोटेदार अकेला ही कार्यवाही क्यूं सहता। पिछली एक वर्ष में विभिन्न दुकानों का निलम्बन और निरस्तीकरण किया लेकिन एक भी वितरण अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं क्यों?

स्पष्ट है कि प्रशासन को कोटेदार ही सबसे कमजोर दिखता है जिस पर कार्यवाही कर स्वयं को एक अच्छी छबि का अधिकारी सावित करने को।

भृष्टाचार मिटा कर यदि वितरण कराना है तो कोटेदार कैसे कामयाब हो रहा त्रिस्तरीय निगरानी के बाबजूद इस तरफ प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।

सूत्रों की माने तो कोटेदार यदि पूरा नियमानुसार वितरण पब्लिक में करे तो वह घर बेंच कर भी नहीं बच पायेगा।

 

सूत्रों की माने तो जनपद बदायूं राशन वितरण में इसलिए अब्बल है क्यूं कि यहां की पात्रता सूची से 50% नाम डिलीट कर दिये और दर्शा दिया कि यह फर्जी लोग थे जबकि अब तमाम कार्ड धारक ऐसे कर दिये जिनके परिवार में 8 सदस्य तक हैं लेकिन युनिट डिलीट कर 2 या तीन ही कर दिये गये हैं ।

उपरोक्त सारी जानकारी प्रक्टीकली है यदि प्रशासन गौर करे तो सावित भी हो सकती है।

ऐसे भी उदाहरण हैं कि कोटेदार स्वंय अन्तोदय कार्ड धारक हैं लेकिन सबाल यह कि क्या पूर्ति विभाग यह नहीं जानता ।जानता है लेकिन भृष्टता के अन्तिम छोर पर खड़ी है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की वितरण प्रणाली