चंडीगढ़,2 अप्रैल। चंडीगढ़ संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए पवन बंसल कांग्रेस की ओर से एक बार फिर उम्मीदवार घोषित किए गए। इसके साथ ही जहाँ बंसल ने पार्टी टिकट के अन्य दावेदारों पर जीत हासिल की है वहीँ कांग्रेस पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी घोषित करने में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी पर बाजी मार ली है। चंडीगढ़ सीट के लिए कांग्रेस का टिकट पाने के लिए कई दावेदार पिछले करीब एक माह से होड़ में लगे हुए थे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा पवन बंसल का चयन निःसंदेह एक मंत्री के रूप में उनके लम्बे एवं शानदार अनुभव का परिणाम कहा जा सकता है।
कांग्रेस टिकट पाने की जद्दोजहद में पवन बंसल के अलावा मुख़्य रूप से उनके चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और कांग्रेस के तेज तर्रार नेता नवजोत सिंह सिधु की धर्मपत्नी नवजोत कौर सिधु शामिल थे। ये दोनो नेता पिछले करीब एक मास से चंडीगढ़ में नुक्कड़ बैठकों और भिन्न-भिन्न कार्यक्रमों के जरिये जहाँ एक ओर मतदाताओं में अपनी छवि ज़माने का प्रयास कर रहे थे वहीँ ऐसे तौर तरीकों से वे कांग्रेस हाईकमान पर भी अपनी दावेदारी का दबाव डालने की चेष्टा कर रहे थे। लेकिन उनके मुकाबले में कही अधिक कद्दावर पवन बंसल सियासत के तराजू में उनसे कहीं भारी पढ़ रहे थे। वैसे पवन बंसल को टिकट मिलने की सम्भावनाओ के संकेत कुछ दिन से चल रहे घटनाक्रम से भी मिल रहे थे। ध्यान रहे कि मनीष तिवारी को पंजाब में आनंदपुर साहेब सीट से टिकट मिल जाने की ख़बरें पहले से चर्चा में है।
दुसरे जहाँ तक श्रीमती सिधु का प्रशन है उनकी दावेदारी कमजोर माने जाने का कारण मुख़्य रूप से उनके पति पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिधु को ही समझा जा रहा था। स्मरण रहे कि करतारपुर कॉरिडोर के मसले को लेकर सिधु द्वारा की गई बयानबाजी को पार्टी हाईकमान ने गंभीरता से लिया था। यही कारण है कि सिधु पंजाब कि राजनीती में भी कुछ बैकफुट पर पाए जा रहे है।
पवन बंसल चंडीगढ़ में किसी परिचय के मोहताज नहीं। पिछले लगभग चार दशक से वह चंडीगढ़ युवा कांग्रेस, पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संगठन और चंडीगढ़ टेरीटोरियल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर सक्रिय रहे है। इतना ही नहीं वह चंडीगढ़ के साथ साथ अपने मूल राज्य पंजाब की कांग्रेस कमेटी में भी वरिष्ठ पदों पर तैनात रह चुके है। लोकसभा में चार टर्म और राज्य सभा में एक बार सहित संसद में सक्रिय रहने का उनका दशकों का लम्बा अनुभव है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने विभिन्न संसदीय कार्यकालों के दौरान छह मंत्रालयों का कार्यभार मंत्री व् पूर्ण मंत्री के रूप में संभाला। रेल मंत्री के रूप में उनका प्रदर्शन बेहतरीन माना जाता है। इसके अलावा उन्होंने ने संसदीय कार्य, जलसंसाधन, विज्ञानं एवं टेक्नोलॉजी, भू-विज्ञानं एवं वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों में एक मंत्री के नाते अपनी अहम भूमिका निभाई।
जहाँ तक चंडीगढ़ का प्रशन है यहाँ उनके खाते में उपलब्धियों की लम्बी फेहरिस्त है। उनकी उपलब्धियों में संघीय क्षेत्र के लिए केंद्र से बजट आवंटन में हजारों करोड़ रूपए की वृद्धि कराने, रेल सेवा में सुविधाएँ बढ़ाने, नगर में नेबरहुड पार्कों का जाल बिछाने और पीजीआई में एडवांस सेंटरों की झड़ी लगाने में उनकी प्रभावशाली एवं अहम भूमिका रही है।