
श्री सागर ने गीता का हवाला देते हुए कहा कि उसमें भगवान श्रीकृष्ण जी ने कहा है कि जो भी इन्सान परमात्मा को पहचान लेता है उसके संचित कर्म तत्काल समाप्त हो जाते हैं फिर उसे उनका भुगतान नहीं करना पड़ता जिससे उसकी मुक्ति संभव हो जाती है । ऐसे इन्सान को संसार छोड़ते समय किसी प्रकार का दुख नहीं होता क्योंकि वह पहले भी परमात्मा से जुड़ा होता है और बाद में भी उसकी आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है । ऐसे समय में वह परमात्मा का शुक्रिया अदा करता है कि आपने मुझे इस धरती पर रहने का जितना भी समय दिया तेरा शुक्रिया है ।
इस अवसर पर यहां के संयोजक श्री नवनीत पाठक जी और सैक्टर 15 के मुखी श्री एस0एस0 बंगा जी ने सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा श्री कृपा सागर जी को चण्डीगढ़ भेजने पर उनका शुक्रिया अदा किया तथा श्री कृपा सागर जी का भी धन्यवाद किया।