SPOT LIGHT 24
Kanpur
कानपुर ब्यूरो सवांददाता गौरव शुक्ला
शाम करीब 4:00 बजे हैं। कानपुर सेंट्रल स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर एक खचाखच भरा है। सभी की जुबान पर 100 करोड़ी टी-18 ट्रेन की ही चर्चा है। 4:10 पर ट्रेन के प्लेटफार्म नंबर एक पर आने की घोषणा होती है। फिर क्या, दूसरे प्लेटफार्म और बाहर खड़े यात्री भी इस ट्रेन के दीदार के लिए प्लेटफार्म नंबर एक की ओर दौड़ पड़ते हैं।
इसके बाद सभी की आंखें प्रयागराज छोर की ओर टिक जाती हैं, टी-18 को जो आना है। 4:24 पर प्रयागराज छोर से यह ट्रेन जैसे ही झांकती, लोग मारे खुशी के उछल पड़ते हैं, वो आ गई ट्रेन… वो आ गई ट्रेन…।
नीली और सफेद रंग की यह ट्रेन जैसे-जैसे प्लेटफार्म की ओर बढ़ रही है लोगों की उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है। ट्रेन 4:25 पर प्लेटफार्म पर रुकती है, इसके बाद शुरू होता है सेल्फी और फोटो खिंचाने का दौर। कुछ यात्रियों ने तो पटरी पर उतरकर फोटो कराए। करीब 10 मिनट तक अपना जलवा दिखाने के बाद 4:35 पर टी-18 दिल्ली की ओर चल दी।
100 करोड़ रुपये से तैयार हुई ट्रेन-18 को सबसे पहले नई दिल्ली से वाराणसी चलाना प्रस्तावित है। हालांकि अभी तिथि तय नहीं है। इसी क्रम में ट्रेन का दिल्ली-प्रयागराज रूट पर ट्रायल लिया गया। दिल्ली से चलकर शनिवार सुबह ट्रेन करीब साढ़े पांच बजे कानपुर पहुंची और और प्रयागराज चली गई।
वहां से दोपहर 2:25 पर चलकर दो घंटे में 4:25 पर कानपुर सेंट्रल आ गई। ट्रेन के रुकते ही चालक और गार्ड नई दिल्ली जाने के लिए सवार हो गए। आम लोगों के लिए प्रवेश नहीं था। स्टेशन अधीक्षक आरएनपी त्रिवेदी ने ड्राइवर से कुछ जानकारियां भी लीं।
उन्होंने बताया कि ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है लेकिन इसे 130 किलोमीटर की रफ्तार तक चलाया गया।
बिना इंजन की है ट्रेन
इस ट्रेन में कोई इंजन नहीं है। इसके हर कोच में पॉवर कार लगी है। बिना इंजन वाली यह ट्रेन भारत में रेलयात्रा के लिहाज से एक क्रांतिकारी बदलाव है। इसका निर्माण भारतीय रेल इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में हुआ है।
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी गौरव बंसल का कहना है कि अभी इसके चलाने की तारीख तो तय नहीं है लेकिन 14 जनवरी के पहले इसके शुरू होेने की संभावना है। टी-18 ट्रेन मौजूदा शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगी।
18 माह में तैयार हुई इस कारण टी-18
ट्रेन को मात्र 18 महीने में तैयार किया गया है, इस कारण इसका नाम टी-18 रखा गया है। यह पूरी तरह से वातानुकूलित चेयर कार वाली है। इसमें वाईफाई, एलईडी, आगे-पीछे खिसकने वाली सीटों जैसी कई सुविधाओं से लैस है यह ट्रेन।
इस ट्रेन की पूरी बॉडी खास एल्युमीनियम से बनी है। अन्य ट्रेनों के मुकाबले इसके कोच हल्के हैं। ब्रेक लगाने पर जल्द रुकेगी। जल्द दोबारा स्पीड भी पकड़ सकेगी।
एक ही दिन में पूरा करेगी वाराणसी का चक्कर
टी-18 ट्रेन सुबह दिल्ली से चलकर कानपुर, प्रयागराज स्टॉपेज के बाद वाराणसी पहुंचेगी। इसके बाद इसी रास्ते से वापस होगी और रात में नई दिल्ली पहुंच जाएगी। शताब्दी एक्सप्रेस के बाद टी-18 ऐसी ट्रेन होगी जो उसी दिन अपने ओरिजन स्टेशन से चलकर रात में वापस पहुंचेगी।
दिव्यांगों के लिए हर कोच में व्हीलचेयर
दिव्यांगों को उनकी सीट तक पहुंचाने के लिए हर कोच में व्हीलचेयर है। ट्रेन में 16 कोच है, जिसमें दो एग्जिक्यूटिव कोच 52-52 सीटों के और 14 कोच 78-78 सीटों के हैं।
तीन मिनट में पकड़ेगी रफ्तार
ट्रेन को किसी स्टेशन पर रोकने और फिर स्पीड देने में 15 मिनट लग जाते हैं। इस ट्रेन में यह प्रक्रिया तीन से चार मिनट में पूरी हो जाएगी। इसमें इंजन के फेल होने का डर नहीं है। अगर किसी कोच की पॉवर कार में खराबी आती है तो बाकी कोच में लगी पॉवर कार के सहारे ट्रेन चलती रहेगी। एक खास बात और ट्रेनों को दूसरी दिशा में ले जाने के लिए इंजन बदलने का भी झंझट नहीं होगा।
टाइम चार्ट
– नई दिल्ली से रात 12:55 पर चली।
– सुबह 5:40 पर कानपुर सेंट्रल पहुंची।
– अलीगढ़ और दाऊ द स्टेशन के बीच पटरी में फ्रैक्चर होने के कारण 38 मिनट तक खड़ी रही।
– सुबह 7:48 पर प्रयागराज पहुंची।
– प्रयागराज से दोपहर 2:25 पर चली। शाम 4:25 पर सेंट्रल आई।
फैक्ट फाइल
16 कोच की है एसी ट्रेन, पूरी ट्रेन चेयर कार
02 कोच 52-52 सीटों के
14 कोच 78-78 सीटों के